उत्तराखंड के 21 वर्ष – देवकांत की कलम से

श्रीनगर

देवकान्त देवराडी़
प्रदेश उपाध्यक्ष युवा मोर्चा AAP उत्तराखंड
पूर्व महासचिव छात्रसंघ HNBGU केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर

21वर्ष पूरे किए उत्तराखंड ने बहुत सी चुनौतियों का सामना भी किया और बहुत से विकास कार्यों की आड़ में बेहद सलीके से लूटा भी गया है l
आज का पूरा दिन राज्य स्थापना दिवस की बधाईयों और कटाक्षों से लैस दिखा


आम जनमानस से कई दफा ये सुनने को मिलता है कि इससे बेहतर तो उत्तरप्रदेश ही था-और बेहद से लोग ये भी कहते हैं कि उत्तराखंड सिर्फ और सिर्फ यहां के अफसरसाहियों के मौज करने का अड्डा बन कर रह गया।

देवकान्त देवराडी़
प्रदेश उपाध्यक्ष युवा मोर्चा AAP उत्तराखंड
पूर्व महासचिव छात्रसंघ
HNBGU केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर


असल मायने में इन सभी बातों पर चिंतन किया जाय तो आज जिन उत्तराखंडीयों की उम्र 50- 60 के पार हो चुकी है वो इस राज्य से काफी निराश दिखते है 30- 40 के पड़ाव में जो युवा है उन्हें आज भी उम्मीद है कि शायद कुछ सालों में बेहतर हो सकता है वो भी परेशान जरूर है पर अपनी जिंदगी के इन संघर्ष भरे क्षणों में वो अपने और अपने परिवार को एक सुरक्षित भविष्य देने की जद्दोजहद में काफी व्यस्त है 15-25 वर्ष के यूवाओं को मानो ऐसा लगता है शायद ऐसे ही देश के हर राज्यों कि स्थिति होती होगी और शायद ही उन्हें अब ये भी जानने में कोई दिलचस्पी होगी कि क्यूं, कब , कैसे, कहां, किनसे लड़कर ,मर मिट, कर हमें ये प्रदेश दिया


सरकारों की उदासीनता जरूर देखने को मिली हैं लेकिन बहुत से कार्य प्रदेश हित में हुए उन्हें नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं आज का यूवा उस 21 वर्ष पुराने इतिहास को जाने और समझे और उन सभी क्रान्तिकारि शहीदों के पदचिन्हों पर चले जिनकी बदौलत ये प्रदेश मिला तो ऐसी कोई ताकत किसी मुख्यमंत्री और अफसरसाहियों में नहीं रहेगी कि हमारा ये प्यारा प्रदेश संवर न सके।


हम सभी प्रदेश वासियों को पार्टी प्रेम न दिखा कर प्रदेश प्रेम जिस दिन सर्वोपरि हो गया उस दिन इस प्रदेश में एक महीने में ही 11मुखयमंत्री क्यूं न बदल दे सरकारें हुकूमत जनता की ही होगी और फैसले भी सरकारों को जनहित में ही लेने पड़ेंगे।


जय उत्तराखंड