मेरी बौजी ( अखबार अर उतराखण्ड) व्यंग मात्र

 आज बौजी अखबार पखड़ी कन बडबडाणी छै 

मिन स्वाच—– जरूर खर्स्यणां भैजी कुछ अच्छु काम कै गे होला अखबार मा छप्यूं ह्वालू ।
मिन ब्वाल—- बौजी क्य दिखणां छौ तै अखबार मा ?
बौजी—- त्यारू कपाळ ।
मिन ब्वाल——- क्य ह्वे बौ जी ?
बौजी—– अब हम घास लखुडु बि नि काटि सकदा । घस्यारी योजना अईं पर छैं कख च । बाघ दिन दुफरा सांकी फरै ल्वै पे जाणूं गूणीं बांदर पंचेत घर मा बैठ्यां छन । सुंगर सर्या चौक खैंणि ग्याई । अर अखबार दिख्या त ।
मिन ब्वाल—— अखबार क्य कनू अब ?
बौजी—– इतगा बड़ि समस्या छोड़ी परचार मा लग्युं “गुप्त रोगी मिलें फलां पुस्ते के पीछे ” प्रेमी को वश में करने के लिए फलां बाबा ” शौतन से छुटकारा “
अब त्वी बता ?

लेखक संदीप गढवाली


मिन ब्वाल —– बात त सै च ।
बौजी– टीबी अर सोशल मीडिया थैं उदघाटन दिखाँण से मतलव च आम परेशानी क्वी नि द्यखणूं ।
मिन ब्वाल—— बात त सै च ।
बौजी—— अर लोग बि स्याळि फरै रील खुटि रैडि गे फरै रील बणाण मा व्यस्त छन क्वी वाँकि रील नि बणाणूं जु हमरी खैर च ।
मिन ब्वाल—— सबि अपणां अपणां जुगाड मा छन बौजी ।
बौजी—- अर भ्रष्टाचार इतगा कि ब्बन क्याच ? भितर भितर भ्रष्टाचार |
मिन ब्वाल ——बात त सै च पर ह्या पैली अपणा भितर बटि व्यवस्था सुधरण प्वाडळि ।
बौजी—- (तड़म उतड़े कन ) हम कना छौ भ्रष्टाचार ? हम कना छौ चोरि ?तु ब्वन क्य चाणूं छै ?
मिन ब्वाल—— बौजी अब भैजी थैं देखि ले लोगु थैं कलम देनि 10 रु वळि अर बिल बण्यूं 20 हजार क्या यु भ्रष्टाचार नीच ?
बौजी—— वा द्यूरा तिन प्यारा आँखा खोलि यली आज आंण दे तु अपणुं भैजी थैं ।
मिन ब्वाल—— अब क्य कन तुमुन ?
बौजी—– पहाड़े नारी छौं पहाड़ का बारम जानकारी कैं किताब मा या गूगल मा उतगा नीच । जतगा तुम थैं एक पहाड की नारी कु जीवन का बारा मा सूणी मीलि जालि ।
मिन ब्वाल—– सब ठीक ब्वाल पर ह्या भैजी थैं मारि न ह्वा ।
बौजी—– आँण त दे आज मिन बि कंडळि का स्वटोंन झपोडी सर्या भ्रष्टाचार नि झाडु न त्यार भैजी कु देख ले तब ।
मिन ब्वाल—– आई प्राउड आफ यू बौजी आज जागिगे नारी शक्ति ।
(मि बौ मा कंडळि दिये छाई अब खिस्को )

सर्वाधिकार सुरक्षित
संदीप गढवाली 207 22

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