आंगनबाड़ी वर्कर्स की मांगो को लेकर मोर्चा ने दी शासन में दस्तक

देहरादून

आंगनबाड़ी वर्कर्स की मांगो को लेकर मोर्चा ने दी शासन में दस्तक l

3-4 माह का अवशेष मानदेय शीघ्र मिले |

दो वर्ष से नहीं मिला भवन किराया |

टीएचआर का भुगतान नहीं हुआ सात-आठ माह से |

मानदेय सरकारी बैंक के माध्यम से मिले, न की प्राइवेट बैंक से |

अधिकांश आंगनबाड़ी वर्कर्स मानदेय पर हैं आश्रित |

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने आंगनबाड़ी वर्कर्स को अवशेष मानदेय, भवन किराया एवं टीएचआर का भुगतान कराए जाने एवं मानदेय का भुगतान सरकारी बैंक के माध्यम से कराए जाने आदि मांगों को लेकर सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास हरि चंद्र सेमवाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा |

सेमवाल ने अवगत कराया कि इनकी मांगों के संबंध में भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया जा चुका है तथा बाल पोषण योजना के अंडे के संबंध में वर्कर्स को किराए की व्यवस्था करने एवं निकटतम स्थान तक पहुंचाने का आश्वासन दिया तथा बैंक द्वारा भुगतान में की जा रही देरी के संबंध में भी कारगर कार्यवाही का आश्वासन दिया |

नेगी ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स को लगभग 3-4 माह का अवशेष मानदेय नहीं मिल पाया तथा लगभग 2 वर्ष से भवन किराया (जिसमें केंद्र संचालित होता है) नहीं मिल पाया, जिस कारण भवन स्वामी आंगनवाड़ी वर्कर्स पर किराया चुकाने को लगातार दबाव बनाए हुए हैं |

इसी प्रकार टीएचआर का भुगतान भी सात -आठ माह से नहीं हुआ, जिस कारण इन बहनों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है | अधिकांश वर्कर्स तो इसी मानदेय के भरोसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं |

नेगी ने कहा कि बाल पोषण योजना के तहत वितरित होने वाला अंडा आपूर्तिकर्ता ठेकेदार द्वारा सुपरवाइजर के यहां उतार दिया जाता है, जो कई दिनों तक रखे- रखे खराब हो जाता है तथा वर्कर्स को अंडा लेने हेतु अपने संसाधन से धन खर्च करना पड़ता है |

उक्त के अतिरिक्त मानदेय प्राइवेट बैंकों के माध्यम से न होकर सरकारी बैंक के माध्यम से हो, क्योंकि प्राइवेट बैंक अपने लाभ के चक्कर में उक्त पैसे का इस्तेमाल कहीं और करने लगते हैं, जिस कारण मानदेय समय से नहीं मिल पाता | मोर्चा को उम्मीद है कि शीघ्र ही आंगनबाड़ी वर्कर्स की परेशानियां दूर होंगी |

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