बाबा बन्दर मोहन के तांडव की कहानी जरुर पढ़े |

ब्यूरो रिपोर्ट

महिला सिसकतीकरण

महिलाओं के उत्थान के लिये राज्य हो केंद्र सरकार अगली हो पिछली सभी ने बढ़ चढ़ के योजनाएं निकाली , महिला उत्तपीड़न के लिए भी सख्त कानून बनाने की बात की व स्पेशल हर थाने में महिला हेल्प डेस्क भी बने हैं व महिला यदि फोन पर भी सूचना दे तो तुरंत मदद करने की बात भी प्रसारित व प्रचारित की जाती रही है

परन्तु क्या इन सब से आम गरीब व बिना ऊंची पहुच वाली महिलाओं को फायदा मिलता है

या न्याय मिल पाता है

तो इसका सीधा सा जबाब है ना , और यदि हाँ तो बड़े पापड़ बेलने के बाद ,

और यदि राजस्व विभाग में केस चले गया तो फिर उम्मीद छोड़ दो , इस कहने को राजस्व विभाग अन्यथा न लें क्योंकि हम बिना तथ्य के नही लिखते

कुछ समय पहले की बात है जनपद पौड़ी गढ़वाल के चश्मेऊपर, आठपुली क्षेत्र के एक गांव झमकोट में एक व्यक्ति जो अपने को बड़ा धर्मगुरु बताता है जिसका जन्म स्थान यही है इसका नाम बन्दरमोहन चूड़ाकोटी है लेकिन वो जन्म के कुछ समय बाद से ही बाहर अन्यत्र शहर में शिप्ट हो था और फिर वर्षों बाद वापस अपने गांव में अपने आश्रम निर्माण करवाने लगा , उसके शिष्य कहते थे कि उनका गुरु बहुत बड़ी क्रांति ला रहा है फिर आश्रम निर्माण में उत्तर प्रदेश के टेरठ शहर से मजदूर आये , मजदूरों ने गांव के भोले भाले लोगो को डराने धमकाने का कार्य किया , इस छोटे से गांव 7 से 8 परिवार रहते हैं जिनकी कुल जनसंख्या 12 से 15 है गांव में लगभग बुजुर्ग लोग ही रहते है

बाबा के लोगो ने गांव में खूब गंदगी फैलाई अपनी दादागिरी की गाँव वाले कम होने व बाबा अमीर होने के कारण गांव वासी चुप्पी साधे रहते थे

फिर एक दिन गांव में ग्रामोत्सव था गांव में बड़ी संख्या में प्रवासी आये और जब उन्होंने यहाँ के हालात देखे तो सन रह गए , थोड़ा सा विरोध हुआ आवाज गांव से बाहर आई और गांव में पहुच गया आम उत्तराखंडी की बेखोफ आवाज पर्वतजन

पर्वतजन ने जब गांव में कदम रखा तो गांव वासियो का दर्द छलक गया और गांव की आवाज पर्वतजन में प्रमुखता से छपी ओर लगभग दूसरे दिन ही बाबा के गुंडे गांव से भाग खड़े हुए ,

बाबा के कुछ लोग गांव में तब भी थे तो उन लोगों ने गांव के एक बुजुर्ग कन्हैयालाल को SCST केस में फंसा दिया उसकी दिव्यांग लड़की काजमती को बाबा के लोग मारपीट की धमकी उठा लेने की धमकी देने लगे , गांव के एक युवा तनुज को गांव में खुला पीट दिया गांव में डर का माहौल हो गया कोई भी बाबा बन्दरमोहन से टकराने में डरने लगा

बात प्रशासन तक भी पहुच गई लेकिन पूरे दो साल तहसील की दौड़ लगाने के बाद भी गांव वासियों को न्याय नहीं मिला क्योकि न्याय तो बाबा ने खरीद लिया था

इसका भी प्रमाण देते हैं गांव वासी तारिक पर आते थे और बाबा के लोग केवल कानून को हड्डी फेंक कर आते थे,

आखिर अपाहिज लड़की के बाप को scst केस में बाबा ने फंसा दिया था जिससे बाबा लड़की व गांव वालों का डराने में कामयाब रहा गांव वालों ने बिना न्याय पाए ही बाबा को क्लीन चिट दे दी,

आज भी गांव का बुजुर्ग scst केस में तारिक पर तारिक भुगत रहा है , ये केस चश्मे ऊपर तहसील में था जहाँ पर sdm तर्पणा पौडवाल थी जिसने कभी गांव वासियो या फिर न्याय का साथ नही दिया इस केस में बाबा के सत्ता धारी पार्टी के रिलेशन की वजह से यहाँ के जनप्रतिनिधियों ने भी गांव वासियो का साथ नही दिया,

इस क्षेत्र के प्रमुख उजाला कंडारी ने इस बात को उठाया और गांव में जाकर गांव वासियो का दर्द सुना लेकिन जब हल्ला मचाने का समय आया तब कोविड काल शुरू हो गया,

इस बाबा की फिर एक हिस्ट्री ओर उजागर हुई बाबा पर बलात्कार का आरोप लगा लेकिन ये क्या यहाँ भी बाबा ने कानून को नोटो में तोल दिया

इसका हम प्रमाण देते हैं जब से निर्भया केस हुआ तो कानून बदल गए थे यदि कही भी बलात्कार केस आ रहे थे तो तुरंत ही गिरप्तारी हो रही थी और केस की जांच भी जल्दी हो रही थी यहाँ आरोप लगाने वाली महिला का मेडिकल आदि तो हुआ खबर अखबारों में भी छपी , लेकिन जांच अधिकारियों ने जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया लगभग 50 दिन बाद कानून ने कहा बाबा निर्दोष है और न तो बाबा मेडिकल हुआ न कोई अन्य जांच याने यहाँ भी बाबा की अटैची काम कर गई

असल में बाबा का तार केंद्र सरकार के एक बड़े मंत्री से जुड़ा था जिस कारण न तो कानून उत्तराखंड में बाबा का या उसके चेलों का कुछ बिगाड़ पाया उत्तर प्रदेश में ,

बाबा पर उसकी दो बीबियों के कत्ल का आरोप भी है जिसमे एक केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है

बाबा के बारे में बहुत बड़ी कहानी है

बाबा की खबर जब न्यूज़ पोर्टलों में छपने लगी तो बाबा के लोग रिपोटर को गालियों से भांजने लगे मारने की धमकी आदि भी देने लगे ,

तो क्या ये ही है महिला शसक्तीकरण एक अपाहिज व एक रेप पीड़ित को न्याय ही नही मिल पाया ,इसलिए हमने इसे महिला सिसकती करण नाम दिया है