पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को भूली शासन प्रशासन

पौड़ी

जगमोहन डांगी

जिले के कांसखेत स्थित पौड़ी सतपुली मुख्य राजमार्ग पर उत्तराखंड की माटी के वीर सपूत, साहस और शौर्य की प्रतिमूर्ति, पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की खंडित प्रतिमा की निरंतर लोकार्पण की आवाज उठाई जा रही है। लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकार एवं उनके प्रतिनिधियों के पास महानायक की प्रतिमा अनावरण करने का समय नहीं |

वहीँ उनके पास क्रिकेट मैच सहित अनेक छोटे छोटे समारोह में जाकर उद्घाटन करने भरपूर समय जरुर है। इससे यही साबित होता है कि उत्तराखंड के महान नायकों को शासन और प्रशासन द्वारा सिर्फ उनके जन्मदिवस या पूण्यतिथि पर ही याद कर इतिश्री कर दी जाती है | साथ ही उनके नाम को लेकर राजनीति की जाती रही है |

निरंतर सोशल मिडिया पर देखने के बाद देश की राजधानी में भी लोगों ने इस पर चिंता जताई है | जिसका असर भी देखने को मिला और वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की स्थापित प्रतिमा की तो मरमत कर दी, लेकिन ‘गढ़वाली’ जी की जयंती पर भी उसका लोकार्पण नही किया और नाही जनता के दर्शनार्थ के लिए उसे खोला गया, जबकि क्षेत्रीय जनता को उम्मीद थी की उनके जन्मदिवस पर प्रतिमा का आवरण हो जाएगा |

वहीँ दिल्ली राजधानी में उनके जन्मदिन पर यह प्रकरण हमारे संवाददाता ने रखा जिसने सभी उपस्थित बुद्धिजीवी वर्ग ने आश्चर्य जताया और प्रतिमा स्थल पर डॉ विनोद बछेती द्वारा पौड़ी पहुंचकर स्वयं देखकर शीघ्र कार्यवाही करने की बात कही|

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड के महान विभूति थे, जिन्हे देवभूमि युगांतर तक आपके त्याग और बलिदान के लिए हमेशा याद करता हैं । उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा आज भी सफेद कपड़े में ढकी हैं। जिनके नाम से एक दर्जन सरकार की कल्याणकारी योजनाएं संचालित हो रही हैं।

गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ बीएस राजपूत ने इस लापरवाही पर बड़ा खेद प्रगट किया, लेकिन अफसोस हैं कि हमारे नेताओ और अधिकारियों के पास उनकी स्थापित प्रतिमा का लोकार्पण करने का समय नहीं हैं। जबकि उनके जन्मदिवस और पुण्य तिथि पर उन्हें हर मंचो पर याद किया जाता है और वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी की शौर्य पराक्रम की गौरव की गाथा का गुणगान कर नई आने वाली नई पीढ़ी को भी बताया जाता हैं।