जसपूर गॉव में ग्यारह दिवसीय पॉडव लीला यज्ञ का हुआ समापन, मां सुरकंडा ने दिखाई अपनी अदभुत शक्ति

मनमोहन भट्ट,

उत्तरकाशी।

उत्तराखंड की भूमि को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है चार धामों साथ आज भी उत्तराखंड में साक्षात देवी देवता विराजमान है और लोगों की आस्था व सेवाभाव भी देवी देवताओ के प्रति समर्पित है। जनपद उत्तरकाशी के भण्डारस्यूं पट्टी के जसपूर गॉव में दस वर्षो के बाद हुई ग्यारह दिवसीय पॉडव लीला यज्ञ का समापन विधिवत संपन्न हुआ।

पॉडव लीला में सभी ग्रामवासियों के द्वारा पॉच पॉडवो को दुफारी देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर गॉव की सुख समृद्धि की कामना की। दसवें दिवस की कालरात्रि के दिन नवदुर्गा रूपेण मां सुरकंडा देवी ने अपने माली पश्वा पर अवतरित होकर अपनी अदभुत शक्ति को दिखाते हुए मध्य रात्रि को गर्म लोहे की सब्बल को उठाकर गॉव के बाहर चारों किलों तक घुमाया ऐसी मान्यता है कि इससे गॉव में वाह्य शक्तियों का प्रकोप खत्म होता है और गांव में खुशहाली बनी रहती है।


वहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष राकेश प्रसाद अवस्थी ने बताया कि सभी ग्राम वासियों ने चंदा इकट्ठा कर इस यज्ञ का आयोजन किया। इस तरह के आयोजन करने से सभी देवी देवता प्रसन्न रहते हैं और सभी का आशीर्वाद ग्राम वासियों पर बना रहता है और साथ ही लोगों की आस्था भी देवी-देवताओं के प्रति बनी रहे रहती है।


यज्ञ के इस आयोजन में पांडवों के द्वारा जैंता की चढ़ाई,हल चलाकर तथा गैंडा घसियारी जैसी पौराणिक सुंदर झांकियों से दर्शकों का मन मोह लिया। साथी जागर सम्राट श्यामलाल ने भी अपने जागरों तथा पॉडव की छाडियों से इस यज्ञ में चार चांद लगा दिए।