कालेश्वर महादेव से सेना के अवैध कब्जे और अनावश्यक नियंत्रण को हटाने की मांग

लैन्सडौन

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश ध्यानी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर लैन्सडौन क्षेत्र के 84 गांवो के स्थान देवता कालेश्वर महादेव से सेना के अवैध कब्जे और अनावश्यक नियंत्रण को हटाने की मांग की है।

ध्यानी ने कालेश्वर मन्दिर से सेना के अवैध कब्जे और अवैधानिक नियंत्रण न हटने पर 11 सितम्बर को विषपान करने की चेतावनी भी दी है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भाजपा नेता ध्यानी के पत्र को जांच के लिए रक्षा मंत्रालय के डिपार्टमेन्ट आफ मिलिट्री अफेयरर्स को भेज दिया है।

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश ध्यानी ने प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र में लैन्सडौन क्षेत्र के 84 गांवो के भूम्याल (स्थान देवता) प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालेश्वर महादेव से सेना के अवैध कब्जे और अवैधानिक नियंत्रण को हटाने की मांग की है। ध्यानी ने कहा कि कालेश्वर महादेव क्षेत्र के 84 गांवों का भूम्याल (स्थान देवता) होने के कारण हजारों लोगो की आस्था से जुड़ा हुआ है। मन्दिर की भूमि का मालिकाना हक हिन्दू समाज के नाम पर दर्ज है परन्तु सेना द्वारा मन्दिर की देखभाल के नाम पर मन्दिर पर अवैध कब्जा किया हुआ है और मन्दिर में गेस्ट हाउस का निर्माण किया हुआ है जो वहां की धार्मिक मर्यादा और गरिमा के विपरित है।


मन्दिर में कई वर्षो से कालेश्वर महादेव मन्दिर समिति द्वारा नियमित पूजा अर्चना सहित धार्मिक कार्यक्रमों का निरन्तर आयोजन किया जाता रहा है। मन्दिर की धूनी जो सेना की लापरवाही और देखभाल के अभाव में शांत और क्षतिग्रस्त हो गई थी मन्दिर समिति के प्रयासों के चलते निरन्तर प्रज्वलित हो रही है वही कालेश्वर मन्दिर की व्यवस्थाओं में होने वाला व्यय भी जनता के सहयोग से मन्दिर समिति द्वारा किया जाता है।


पत्र में ध्यानी ने कहा है कि कालेश्वर मन्दिर सन्यासी परम्परा का सिद्धपीठ है परन्तु बाबा की कुटिया में भी सेना के गेस्ट हाउस के कर्मचारी रहते है जिसके कारण मन्दिर में स्थाई रूप से सन्यासी परम्परा का निर्वहन नही हो पा रहा है। वही गर्भगृह स्थित शिवलिंग का स्थान भी क्षतिग्रस्त हो रखा है और जब भी मन्दिर समिति उसकी मरम्मत करती है तो सेना के अधिकारियों द्वारा बाधा डाल कर मरम्मत कार्य को रोक दिया जाता है। कहा कि सेना के साथ कई बार पत्र व्यवहार करने के बाद स्थित जस की तस बनी हुई है।


ध्यानी ने कहा है कि कई बार आग्रह करने के बाद भी सेना के अधिकारियों क्षेत्रीय जनता के धार्मिक अधिकारों में लगातार हस्तक्षेप करते आ रहे है जिसका लोकतांत्रिक रूप से विरोध किया जाना जरूरी हो गया है। कई बार सेना के अधिकारियों के मन्दिर मे दर्शन के दौरान पर आम जनता के प्रवेश को रोक दिया जाता है जो जनता के धार्मिक अधिकारों पर अतिक्रमण है। उन्होने प्रधानमंत्री से कालेश्वर मन्दिर से सेना के अवैध कब्जे को हटाने उसके गैरजरूरी हस्तक्षेप को बंद करने सहित कई विन्दुओं की जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यदि कालेश्वर मन्दिर से सेना के अनावश्यक नियंत्रण और कब्जे को नही हटाया गया तो वह 11 सितम्बर को इसके विरोध में विषपान करेंगे।

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