देहरादून:
पांचवीं विधानसभा के चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह कम होने के स्थान पर और तेज हुई है। लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी के भीतर हरीश रावत विरोधी मोर्चा नए सिरे से मुखर हुआ है और प्रदेश में कांग्रेस के भीतर घमासान के आसार हैं।
बीते रोज पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के नेतृत्व में सक्रिय हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विरोधी मोर्चे ने मंगलवार को एक कदम और आगे बढ़ाया। हरिद्वार में बैठक के बाद हरक सिंह रावत ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर दावेदारी ठोकी। हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले श्रीजयराम आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्म स्वरूप ब्रहमचारी मंगलवार को जिस तरह मोर्चे की बैठक में उपस्थित रहे, उसे हरिद्वार में नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है।
बीते दिनों हरीश रावत ने हार के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराने वाले नेताओं पर बरस चुके हैं। यही नहीं, उन्होंने हरिद्वार में उनके विरुद्ध प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए पार्टी हाईकमान से ऐसे व्यक्तियों पर कार्यवाही की मांग की थी।
जिसपर अब बीते दिन नया मोड़ तब आया जब प्रीतम सिंह के साथ ही वर्तमान उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, कुछ पूर्व विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के आवास पर बैठक की। बैठक में इन नेताओं के निशाने पर हरीश रावत रहे थे।
मंगलवार को हरीश रावत विरोधी मोर्चे ने हरिद्वार में डेरा डालकर चौंका दिया। मोर्च ने हरिद्वार से सांसद रह चुके हरीश रावत को फिर निशाने पर लेते हुए इस सीट पर उनकी दावेदारी को चुनौती दे दी। हरिद्वार की राजनीति में हरीश रावत के करीबी रहे श्रीजयराम आश्रम के स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से हरक सिंह के नेतृत्व में मोर्चे के नेताओं ने भेंट की। इस बैठक में हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर चर्चा ने राजनीति गर्मा दी है।
लोकसभा चुनाव दो साल बाद 2024 में होने हैं, लेकिन अभी से इस कसरत ने हरिद्वार की राजनीति में नए ध्रुवीकरण के संकेत भी दे दिए हैं। मोर्चा इस प्रयास में जुटा है कि हरिद्वार जिले से अधिक संख्या में स्थानीय नेताओं और पार्टी विधायकों का समर्थन जुटाया जाए।
विशेष बात यह है कि हरीश रावत के हरिद्वार के प्रस्तावित दौरे से एक दिन पहले बैठक में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर दावेदारी प्रस्तुत कर दी है।