शारदा सागर डैम के किनारे बसे हजारों परिवारों का जीवन बना नरक। फैल सकती है संक्रामक बीमारी।

खटीमा

अशोक सरकार

देवभूमि उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में खटीमा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत शारदा सागर डैम के किनारे लगभग 60 वर्षों से बसे सिसैया बंधा, बलुआ खैरानी, बगुलिया, झाऊपरसा आदि गांवों के ग्रामीणों का जीवन बना नरक।

यूपी उत्तराखंड के शासन प्रशासन की लापरवाही, मनमानी और उदासीन रवैये से जा सकती है सैकड़ों ग्रामीणों की जानें। जहां एक ओर ग्रामीण नहीं बचा पा रहे हैं अपनी डूबी फसल और सामान तो वहीं सिंचाई विभाग द्वारा एंटी भू माफिया शासनादेश के तहत बल पूर्वक कब्जा हटाने, खर्चा वसूलने का नोटिस जारी करने से ग्रामीणों के माथे पर बढी चिंता की लकीरें, मची खलबली।

लगभग 50 वर्षों के बाद बनी अब तक की भयावह स्थिति, पीड़ितों की कोई सुध लेने वाला नहीं। वहीं अब भुखमरी, पानी में डूबने, सांप, मगरमच्छ, मच्छरों जैसे जहरीले जीवों से संक्रामक बीमारी का भी बढ़ा खतरा। बच्चों का स्कूल जाना, घर से बाहर निकलना हुआ दुश्वार तथा शादी विवाह जैसे कार्यक्रम लटके अधर में।

आपको बता दें कि शारदा सागर डैम की पटरी और खाली जमीन पर लगभग 60 वर्षों से बसे ग्रामीणों का वोट लेने के लिए सभी राजनीतिक दलों द्वारा अब तक केवल झूठा आश्वासन दिया गया परिणाम स्वरूप आज हजारों की संख्या में लोग झूठे आश्वासन का खामियाजा भुगत रहे हैं। कोई उचित समाधान नहीं निकाला जा रहा है।

गौरतलब है कि उक्त जलमग्न गांवों में जहां एक तरफ सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा के नाम पर उत्तराखंड सरकार खर्च कर रही है तो वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा समय-समय पर अचानक और असीमित पानी भरकर तथा बलपूर्वक कब्जा हटाने का नोटिस जारी कर उत्तराखंड सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं पर पानी फेर रही है, विनाश कर रही है और गरीब ग्रामीणों को बेघर कर रही है।

ऐसा प्रतीत होता है कि यूपी उत्तराखंड के शासन प्रशासन इन ग्रामीणों को बेवकूफ और जानवर समझ कर उनके भविष्य और जीवन के साथ खिलवाड़ और मजाक कर रही है जबकि पीड़ित परेशान और तबाह ग्रामीणों के बार-बार गुहार लगाने के बाद भी दोनों प्रदेशों के शासन प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं और किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

वही शीला देवी, मीना देवी तथा बलदेव जैसे तमाम पीड़ित परेशान और हताहत लोगों ने अपनी बर्बादी की व्यथा को व्यक्त करते हुए यूपी उत्तराखंड शासन प्रशासन से जलस्तर कम करने तथा न्याय की गुहार लगाई है।

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